अगस्त 2023 में बाल आशा ट्रस्ट के माध्यम से याचिका दायर कर दंपती ने बच्चे को गोद लिया था। गोद लेने के पांच महीने बाद दंपती ने ट्रस्ट से बच्चे के अनियंत्रित बुरे व्यवहार और आदतों की शिकायत की थी।

बॉम्बे हाईकोर्ट ने एक नाबालिग बच्चे को देने के फैसले को रद्द कर दिया है। दरअसल, गोद लेने वाले दंपती ने अदालत में कहा था कि उनका बच्चे से भावनात्मक लगाव नहीं हो पाया। वह बच्चे से किसी भी तरह का कोई रिश्ता नहीं बना पाए, इसलिए वह उसे वापस करना चाहते हैं। इस पर अदालत ने गोद देने के फैसले को रद्द कर दिया।
पांच महीने में वापस लौटाने की याचिका
अगस्त 2023 में बाल आशा ट्रस्ट के माध्यम से याचिका दायर कर दंपती ने बच्चे को गोद लिया था। गोद लेने के पांच महीने बाद दंपती ने ट्रस्ट से बच्चे के अनियंत्रित बुरे व्यवहार और आदतों की शिकायत की थी। साथ ही कहा था कि उनका बच्चे से भावनात्मक लगाव नहीं हो पाया है, इसलिए हम बच्चे को वापस करना चाहते हैं। इसके लिए वे सभी नियमों का पालन करने के लिए तैयार हैं।
ट्रस्ट ने दिया था सुझाव
बता दें कि दंपती की पहले से एक बेटी है। ट्रस्ट ने दंपती को बच्चे के व्यवहार को समझने के लिए काउंसलिंग का सुझाव दिया है। ताकि बच्चे के बर्ताव में सुधार लाने के लिए जरूरी कदम उठाए जा सकें। इस बीच ट्रस्ट ने गोद देने वाले बच्चों से जुड़ी विशेषज्ञ सेंट्रल और स्टेट अडॉप्शन रिसोर्स, डिस्ट्रिक्ट चाइल्ड प्रोटेक्शन यूनिट को दंपती के घर का अध्ययन करने का सुझाव दिया।
दंपती ने ट्रस्ट की सलाह पर काउंसलिंग में भी भाग लिया। इस दौरान पाया कि उनका बच्चे से कोई लगाव नहीं हो पाया है। इस पर हाईकोर्ट की पीठ ने गोद देने के आदेश को रद्द करने और बच्चे के नाम पर दिए गए दो लाख रुपये का निवेश दंपती को लौटाने का निर्देश दिया। अदालत ने कहा कि दत्तक माता-पिता को निर्देश दिया जाता है कि वे बच्चे से संबंधित सभी मूल रिपोर्ट और दस्तावेज तुरंत याचिकाकर्ता-संस्थान को लौटाएं।